Monday 12 December 2011

दिनेश के दोहे ( आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार )

1:-दामिड़(अनार)छिलका सुखाकर, पीसें चूर्ण बनाय।
सुबह शाम जल डाल कम, पी मुँह बदबू जाय।।
2:-चूना घी औ शहद को, ले सम भाग मिलाय।
बिच्छू का विष दूर हो, इसको यदि लगाय।।
3:-गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय।
तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट जाय।।
4:-अदरक रस, मधु भाग सम, करें अगर उपयोग।
    निश्चित ही मिट जायगा, खाँसी औ कफ रोग।।
5:-गोखूरू के चूर्ण को, शहद के साथ मिलाय।
    सेवन प्रतिदिन यदि करे, पथरी दूर भगाय।।
6:-ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम।
     पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल में आराम।।
7:-बहुत सरल उपचार है, यदि आग जल जाय।
     मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।
8:-रुई जलाकर भस्म कर, करें वहाँ भुरकाव।
      जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।
9:-नीम-पत्र के चूर्ण में, अजवाइन इक ग्राम।
      गुड़  संग पीजे पेट के, कीड़ों से आराम।।
10:-मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम।
    पेचिश के ये रोग में, काम न कोई हकीम।।

( प्राचीन आयुर्वेदिक पुस्तकों के आधार पर )

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