सांसद बड़े बड़ी या जनता।
सांसद को ये कौन है चुनता।।
संसद में यह प्रश्न खड़ा है।
चुने जो सांसद वही बड़ा है।।
सांसद जो कानून बनायें।
जनता से न पूछा जाये?
जनता को जनता से संसद।
जनता हित संसद का मतलब।।
जो जनता के काम न आये।
जनता को बेवकूफ बनाये।।
ऐसी संसद हमें न भाये।
क्यों न और व्यवस्था लायें।।
संसद में गुण्डे हैं कुछ-कुछ।
वह ही नेता हुये निरंकुश।।
इनको अब है सबक सिखाना।
इन्हें न अब संसद पहुँचाना।।
किये हैं जिन-जिन ने घोटाले।
उनके चेहरे करना काले।।
संसद से वापस बुलवाकर।
इन सबको तिहाड़ पहुँचाकर।।
आजादी का जश्न मनायें।
आओ फिर से देश बनायें।।
सांसद को ये कौन है चुनता।।
संसद में यह प्रश्न खड़ा है।
चुने जो सांसद वही बड़ा है।।
सांसद जो कानून बनायें।
जनता से न पूछा जाये?
जनता को जनता से संसद।
जनता हित संसद का मतलब।।
जो जनता के काम न आये।
जनता को बेवकूफ बनाये।।
ऐसी संसद हमें न भाये।
क्यों न और व्यवस्था लायें।।
संसद में गुण्डे हैं कुछ-कुछ।
वह ही नेता हुये निरंकुश।।
इनको अब है सबक सिखाना।
इन्हें न अब संसद पहुँचाना।।
किये हैं जिन-जिन ने घोटाले।
उनके चेहरे करना काले।।
संसद से वापस बुलवाकर।
इन सबको तिहाड़ पहुँचाकर।।
आजादी का जश्न मनायें।
आओ फिर से देश बनायें।।
बहुत अच्छी जागरूक करती रचना ...
ReplyDeletePoint जी, सादर प्रणाम।
ReplyDeleteऐसे ही होसला बढ़ाते रहिये।
यदि ईश्वर ने दुनियाँ बनाई होती। बहुत अच्छी लगी
ReplyDeletePoint जी आपको रचना अच्छी लगी, इसके लिये आपका आभार।
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