Sunday 8 January 2012

लुफ्त पीने का उठाया जाय

एक कवि अपनी प्रेयसी के विभिन्न अंगों एवं हावभावों
का अतिश्योक्तिपूर्ण वर्णन करता है,जिसके प्रति उत्तर
में व्यंगरूप में तीस वर्ष पर्व लिखी गईं पंक्तियाँ आप
सबके मनोरंजनार्थ प्रस्तुत हैं। आप सबके आशीष कथनों
की आकांक्षा:-
लुफ्त पीने का  उठाया  जाय
------------------------------
........................................
झील सी गहरी ये  आँखें हैं,
क्यों न ये झककर नहाया जाय।
संगमरमर  सा  बदन  तेरा,
ताज फिर दूजा  बनाया  जाय।
दिल है दरिया की तरह तेरा,
नाव को इसमें  चलाया  जाय।
बात करने से  झरें  मोती,
खर्च इनसे ही  उठाया   जाय।
चाँद सा लगता तिरा चेहरा,
चाँद को क्यों न चिढ़ाया जाय।
धड़कनें तेरी हैं सरगम सी,
गीत क्यों न गुन गुनाया जाय।
तीर सी लगती नजर तिरछी,
क्यों न दुश्मन पास लाया जाय।
ओंठ फाँकें  संतरे  सी  दो,
जूस फिर इनसे निकाला जाय।
आँख दर्पन सी कवि कहते,
देखकर खुद को सजाया जाय।
तन से यौवन की छलकती मय,
लुफ्त पीने का  उठाया  जाय।
आँख में तेरी भरी मदिरा,
इनको मयखाना बनाया  जाय।
झूठ कहने में हो माहिर तुम,
क्यों वकीलों पास जाया  जाय।
दिल बड़ा तेरा बहुत ही है,
क्यों न अपना घर बनाया जाय।

42 comments:

  1. सार्थक प्रस्तुति है सर आपकी
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  2. बेहद ख़ूबसूरत एवं उम्दा रचना ! बधाई !

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  3. लाजबाब रचना
    नववर्ष की मंगल कामनाएं .

    गुजारिश -> word verification को हटा दें तो कमेन्ट में सुगमता होगी

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  4. संजू जी,उर्मी जी एवं राजपूत जी उत्साह-वर्धक
    प्रतिक्रिया देने के लिये आभार।

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  5. Rejput ji word verification हटा दिया है,
    सुझाव देने के लिये आभार।

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  6. simply suparb,,,vaah.. vaah.. vaah..maja aa gaya padhkar.

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  7. राजेश जी आभार प्रतिक्रिया देने के लिए....

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  8. :-)

    बस आपकी ये रचना नायिका पढ़ ना ले...

    बहुत बढ़िया.

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  9. vidya ji सादर प्रणाम,
    रचना की प्रशंसा करने के लिये आभार,
    अभी तक तो नायिका की नजर में रचना नहीं आई,
    जबकि रचना को लिखे लगभग 30 वर्ष हो चुके हैं।

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  10. नख शिख वर्रण में माहिर हैं आप .अच्छे प्रयोग किये हैं आपने थोड़ा हटके .सुन्दर अंदाज़ हैं आपके .

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  11. वीरूभाई मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया देने के लिए
    हृदय से आभार....

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  12. वाह दिनेश जी ... उपमाएं और उनका अनोखा प्रयोग ...
    निर्मल हास्य से भरपूर रचना ...

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    1. दिगम्बर जी मेरी रचना को सराहने के
      लिये आपका हृदय से आभार.....

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  13. रश्मि जी प्रोत्यसाहित करने वाली प्रतिक्रिया के लिये आभार......

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  14. क्या कहने...कवि भी सोच रहा होगा कि क्यों कहा मैंने....अच्छा है

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  15. तीर सी लगती नजर तिरछी,
    क्यों न दुश्मन पास लाया जाय।....bahut badhiya!

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    1. सुधा जी मेरा उत्साह बढ़ाने के लिये आपका बहुत बहुत
      आभार......

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  16. तन से यौवन की छलकती मय,
    लुफ्त पीने का उठाया जाय।
    आँख में तेरी भरी मदिरा,
    इनको मयखाना बनाया जाय।

    Vah ....bahut umda dinesh ji badhai.

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    1. Naveen ji,रचना की तारीफ करने के लिये
      आपका बहुत बहुत आभार...

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  17. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा प्रस्तुती!

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    1. उर्मी जी प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत बहुत आभार....

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  18. bahut sundar rachna...itne ssal baad bhi aaj ki hi rachna lgti hai

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    1. अवंती सिंह जी रचना की सराहना करने एवं प्रतिक्रिया देने के लिये
      बहुत बहुत आभार....

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  19. एक कविता अंग प्रदर्शन पर हो जाए -नख शिख -ओ लाला ओ लाला अब मैं जवान हो गई ...
    गण निरपेक्ष तंत्र मुबारक .

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    1. वीरू भाई जी प्रतिक्रिया देने के लिये आपका बहुत बहुत आभार....

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  20. अनेकता में एक्ता की गजब की मिसाल.....बढ़िया हास्य.....

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    1. अरुण जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....

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  21. शानदार रचना .

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    1. अमृता जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.......

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  22. गणतंत्र दिवस के मौके पर जानदार और शानदार रचना है।

    गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....!

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    1. संजय जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....
      गणतंत्र दिवस का शुभामनायें.....

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  23. बहुत रोचक है पोस्ट आपकी
    क्योँ न एक कमेन्ट किया जाए
    बेहतर प्रस्तुति ...!

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    1. केवल राम जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.....

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    2. ममता जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार.........

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  24. http://gauvanshrakshamanch.blogspot.com/

    गौ वंश रक्षा मंच ,सब गौ प्रेमियों को सादर आमंत्रित करता है के अपने विचार /सुझाव/लेख/ कविताये मंच पर रक्खें ,मंच के सदस्य बने ,और मंच के लेखको में अपना नाम जोड़ कर मंच को गरिमा प्रदान करें ....गौ हम सब की माँ है , माँ के लिए एक जुट होना हमारा फ़र्ज़ है.....

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    1. आवश्यक, शुक्रिया......

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  25. aapne jis umr men yah kavita likhi hogi
    usmen to masti hi masti sujhati hai.

    apni 30 varsh purani prastuti padhwane
    ke liye aabhar.

    samay milne par mere blog par aaiiyega.

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  26. प्रतिक्रिया देने के लिये आभार......

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  27. प्रीति जी प्रतिक्रिया देने के लिये आभार......

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