१;-मुसलमान गीता पढ़े, हिन्दू पढ़े कुरान
.मुसलमान घर कीर्तन, हिन्दू करे अजान .
मुसलमान दीपावली, हिन्दू ईद मनाय.
देश हमारा विश्व में ताकतवर बन जाय.
२;-न खुदा कीमती, न राम कीमती, मेरी नजर में तो इन्सान कीमती.
न मंदिर कीमती, न मस्जिद कीमती, केवल इन्सान की जान कीमती.
न कावा कीमती, न अयोध्या कीमती, केवल हमारा हिन्दोस्तान कीमती.
न गीता कीमती, न कुरान कीमती, केवल हमारा संविधान कीमती.
.मुसलमान घर कीर्तन, हिन्दू करे अजान .
मुसलमान दीपावली, हिन्दू ईद मनाय.
देश हमारा विश्व में ताकतवर बन जाय.
२;-न खुदा कीमती, न राम कीमती, मेरी नजर में तो इन्सान कीमती.
न मंदिर कीमती, न मस्जिद कीमती, केवल इन्सान की जान कीमती.
न कावा कीमती, न अयोध्या कीमती, केवल हमारा हिन्दोस्तान कीमती.
न गीता कीमती, न कुरान कीमती, केवल हमारा संविधान कीमती.
इंसान का इंसान होना ही सबसे बड़ी पूजा है... आज विश्व के मंदिर में निश्चित ही भगवान् नहीं इंसान चाहिए!
ReplyDeleteअनुपमा जी आपने सच कहा हमें भगवान की नहीं इंसान की जरूरत
ReplyDeleteहै।अगर हम सचमुच इंसान बन गये तोहमें न तो भगवान को खोजने
की और न ही उसको परिभाषित करने की आवश्यकता पड़ेगी। पर
दुर्भाग्य देखिये, जन्म तो हम इंसान के रूप में लेते हैं और बिना
हमारी सहमति लिये हमें बना दिया जाता है हिन्दु या मुसलमान
या सिक्ख या ईसाई आदि आदि।
सही कहा आपने.
ReplyDeleteसुधा जी, मेरे blog पर आकर प्रथम प्रतिक्रिया देने के लिये आभार।
ReplyDeleteभविष्य में ऐसी ही कृपा बनाये रखिये।