हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।
नेताओं पर देश न छोड़े,हमको मिलकर देश बचाना।।
नेता का हित एक सभी हैं,लेकिन जनता एक नहीं हैं।
इनकी जब्त जमानत होगी,अबकी बार सबक सिखलाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
वोट हमें उसको ही देना,जो माने जनता का कहना।
भ्रष्टाचार सहा जो अब तक,अब उसको आगे न सहना।।
अब संसद ये जा न पायें,जेल की चक्की है पिसवाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
यह आन्दोलन को भटकायें,कई झूठे आरोप लगायें।
जाति-धर्म कि बात छेड़कर,लोकपाल को यह लटकायें।।
लोकपाल मजबूत बनाकर,हमको नई व्यवस्था लाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
आरक्षण में यह उलझाकर,जाति-धर्म का टैग लगाकर।
पाँच साल तक फिर लूटेंगे,जनता को बेवकूफ बनाकर।।
भ्रष्टाचार से मुक्त जो होना,तो फिर इनको न जितवाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
जनता इनकी समझे चालें,गीदड़ ओढ़े शेर की खालें।
घर-घर में हमको जा करके,इनका असली रूप दखाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
जनता से न बड़े सांसद,देश लूटना कुछ का मकसद।
और लूटने इन्हें न देंगे,जाग गये हैं क्योंकि हम सब।।
नेताओं का धन बाहर जो,वह काला धन वापस लाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
निर्धन कोई टिकट न पाता,टिकट अमीरों को मिल जाता।
जनता की वह सुध क्यों लेता,देश लूटने में लग जाता।।
अब तो जनता जान गई है,नेता लूंटें देश खजाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको मिलकर देश जगाना।।
आपस में करवा कर झगड़े,हमें बाँटते अगड़े,पिछड़े।
मिल-जुलकर यह लूट रहें हैं,इसीलिये न जाते पकड़े।।
बच न पाये कोई नेता,इनकी पोल खोल दिखलाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
जो विदेश में है धन काला,नेताओँ ने किया हवाला।
नेताओं की करतूतों से,भारत का हो गया दिवाला।।
करना हमें वसूली इनसे,देश को फिर धनवान बनाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
नेताओँ से नहीं डरेंगे,देश की सारी जेल भरेंगे।
आज देश को पढ़ी जरूरत,खुद को हम कुर्बान करेंगे।।
मेरा रँग दे बसंती चोला,अधरों पर हो यही खजाना।
हमें जगया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
नेताओं ने दिया है धौका,मेरा देश भाड़ में झौका।
भ्रष्टाचारी बढ़ती जाती,मँहगाई को नहीं है रोका।।
इनके घर पर धरना देकर,अपना रोष हमें दिखलाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको अपना देश जगाना।।
हमसे इनके बँगले गाड़ी,इनके फैले बिजनिस खाड़ी।
जनता के दबाव के कारण,आज जेल में है कड़माड़ी।।
चाह रहे हैं इनके नेता,इसे जेल से है छुड़वाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको मिलकर देश जगाना।।
आज जेल में है जो कोड़ा,इसका दोष नहीं है थोड़ा।
इसके धन का इसे न मालुम,इसने तो हैं अरबों जोड़ा।।
इसकी कुर्क हो सारी दौलत,इनको कड़ी सजा दिलवाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
जो वोफोर्स का हुआ घोटाला,इक नेता तो खा गया चारा।
मिले-जुले हैं सारे नेता,कोई न इनसे कहने वाला।।
बहुत सहे हमने घोटाले,देश को इनसे हमें बचाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
सांसद बिकें बचें सरकारें,सांसद बिकें गिरें सरकारें।
राज्यसभा में पहुँचा देते,लोकसभा जो सांसद हारें।।
वही सांसद मंत्री बनता,बदलें यह कानून पुराना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
सब्ज बाग ये हमें दिखाते,एक भी वादा नहीं निभाते।
हैं खुदगर्ज बेशरम पक्के,पाँच साल में फिर आ जाते।।
हाथ जोड़कर पैर पकड़ते,भइया सांसद हमें बनाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
उनसे हमें नहीं अब डरना,इनसे एक प्रश्न ही करना।
लोकपाल लाओगे पक्का,वोट नहीं देगे हम वरना।।
लोकपाल का बने अडंगा,उस नेता को हमें हराना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
कुछ नेता इतने बौराये,जनता इनको सबक सिखाये।
RSS का कहें मुखौटा,अन्ना पर आरोप लगाये।।
कहता कोई भगोड़ा सैनिक,जो मन आये है बक जाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
अफवाहें झूँठी फैलाते,यह हमको बेवकूफ बनाते।
जुड़े हुये हैं जो अन्ना से,उनपर झूठे केश लगाते।।
हमको गिरफ्तारी है देना,गाली गोली लाठी खाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
शासन में बैठे आधे ठग,इसमें नहीं किसी को है शक।
क्या गौरों से ही सीखा है,नेताओं ने लूटने का हक।।
ओर देश को लूट न पायें,लोकपाल मजबूत बनाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमके सारा देश जगाना।।
खुद को हम 'आजाद' बनायें,भगत सिंह अशफाक बनायें।
हममें है झाँसी की रानी,क्यों न हम सुभाष बन जायें।।
लाठी गोली या दें गाली,हमको आगे बढ़ते जाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
हम जागे तो जनता जागे,मौलिक अधिकारों को माँगे।
लूटा है कई नेताओँ ने,ऐसा होगा न फिर आगे।।
लोकपाल मजबूत बनाओ,नेताओं को जेल भिजाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
आगे न कोइ देश को लूटे,लूटे जेल जाय न छूटे।
वह संसद से आँयें वापस,जिसके वादे निकलें झूटे।।
ये रिजेक्ट रीकॉल का हमको,एक ठोस कानून बनाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
कैसे-कैसे तरकश छोड़े,RSS का नाम हैं जोड़े।
धर्म-जाति की बात उठाकर,चाहें यह आन्दोलन तोड़ें।।
भेद भूल सब एक हुये हम,इनकी हर हरकत बचकाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
अन्ना इतने सीधे-साधे,सब आरोपों को सह जाते।
आरक्षण की बात उठाकर,मुद्दों से हमको भटकाते।।
खाद्य सुरक्षा का बिल लाकर,जनता को बेवकूफ बनाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।
जागो-जागो बहुत सो लिया,पोछों आँसू बहुत रो लिया।
हम क्यों पीछे रह जाँयें अब,भारत अन्ना संग हो लिया।।
सबको अन्ना के संग मिलकर,फिर से नई क्रांति लाना।
हमें जगाया है अन्ना ने,हमको सारा देश जगाना।।